माॅं भारती का श्रृंगार
आज दिनांक १२.५.२४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
माॅं भारती का श्रृंगार:-
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बसन्त ऋतु आते आते माॅं भारती श्रंगारित होती है।
हरे-भरे नव पल्लवों से,धरती दर्शनीय हो जाती है।।
हरी हरी है घास उगती ,ज्यों हरा आंचल लहराया हो।
कुसुमित हो जाते सब तरुवर माॅं ने अलंकार नव पाया हो।।
सीमा पर सैनिक ,जीत कर दुश्मन से ,लौट के जब घर आते हैं।
सीना चौड़ा हो जाता माॉं का ,वो मिट्टी माथ लगाते हैं।।
बच्चे जब परीक्षा दे कर ख़ुशी -खुशी घर आते हैं।
मुस्कान देख उनके चेहरे पर ,माॅं भारती को श्रंगारित पाते हैं।।
किसी खेल मे भारतीय खिलाड़ी जीत दर्ज जब करते हैं।
भारत माॅ श्रंगारित होकर ख़ुशी के आंसू प्लावित होते हैं।।
मां भारती हम सबकी माॅं है,सबकी ख़ुशी में खुश हो जाती है।
देश की खुशी मे खुश होती ,दुख मे आंसू धार बहाती है।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 04:50 PM
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